प्र) निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ बताकर वाक्य में प्रयोग करो ।
1) मुँह सीना – बोलना बंद करना
– गलती पकड़े जाने पर राकेश ने अपना मुँह सी लिया ।
2) राह का काँटा बनना – प्रगति में बाधक बन्ना
– अंग्रेजों के लिए भगत सिंह राह का काँटा बन गया था ।
3) सीमा की पहचान कराना – क्षमता का बोध कराना
– अपने बेटे के आत्मविश्वास को टूटता हुआ देखे पिता ने उसके गुणों के आधार पर उसके सीमा की पहचान कराई ।
अभ्यास प्रश्न
क) निम्नलिखित संवादों को ध्यानपूर्वक पढ़कर उनकी नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए ।
अ) क्या आप इस अर्जुन से कभी उसका दाहिना हाथ माँग सकेंगे ? क्या भीम से उसकी भुजा माँग सकेंगे ? आप माँगेंगे तो भी नहीं मिलेगी । तब आपने मुझसे ही अँगूठा क्यों माँगा ? क्या आप अपने शिष्य की हत्या नहीं कर रहे हैं ?
प्रश्न- i) यह संवाद किस पाठ से लिया गया है ?
उ: यह संवाद ‘गुरुदक्षिणा’ पाठ से लिया गया है ।
ii) इसके लेखक का क्या नाम है ?
उ: इस पाठ के लेखक का नाम शंकर शेष है ।
iii) यह वाक्य किसने किससे कहे हैं ?
उ: यह वाक्य एकलव्य ने द्रोणाचार्य से कहे है ।
iv) गुरु शिष्य की हत्या कैसे कर रहा है ?
उ: गुरु शिष्य के दाहिने हाथ का अँगूठा माँग कर हत्या कर रहा है ।
v) माँगने पर भी गुरु को क्या नहीं मिलेगा ?
उ: माँगने पर भी गुरु को अर्जुन से उसका दाहिना हाथ और भीम से उसकी भुजा नहीं मिलेगी।
आ) “क्योंकि मैं संसार के सबसे बड़े धनुर्धर को अपनी आँखों से देख चुका हूँ । भविष्य में जब कभी मुझे कोई संसार का सबसे बड़ा धनुर्धर कहेगा तो उस समय एकलव्य का गर्म खून से सना हुआ पंजा मेरा मजाक उड़ाएगा । गुरुदेव, मैं अपनी अपराध-भावना को कभी नहीं भुला सकूँगा ।
प्रश्न- i) यह संवाद किस पाठ से लिया गया है ?
उ: यह संवाद ‘गुरुदक्षिणा’ पाठ से लिया गया है ।
ii) इसके लेखक का क्या नाम है?
उ: इस पाठ के लेखक का नाम शंकर शेष है ।
iii) यह वाक्य किसने किससे कहे हैं?
उ: यह वाक्य अर्जुन ने द्रोणाचार्य से कहे हैं ।
iv) शिष्य के मन में कौन सी अपराध भावना पैदा हुई ?
उ: अर्जुन को संसार का सबसे धनुर्धर कहलाने के लिए गुरुदेव ने एकलव्य के दाहिने हाथ का अँगूठा कटवा दिया था लेकिन अर्जुन जानता था कि संसार का सबसे बड़ा धनुर्धर वह नहीं एकलव्य है । यही अपराध भावना शिष्य के मन में पैदा हुई।
v) शिष्य का मज़ाक कौन उडाएगा?
उ: शिष्य का मज़ाक एकलव्य का गर्म खून से सना हुआ पंजा उडाएगा ।
ख) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 10-15 शब्दों में लिखिए ।
1) एकलव्य कौन था ?
उ: एकलव्य व्याधराज का पुत्र था । जब द्रोणाचार्य ने उसे धनुर्विद्या सिखाने से इनकार किया तो उसने द्रोणाचार्य का पुतला बनाकर अभ्यास कर धनुर्विद्या सीखी ।
2) एकलव्य द्रोणाचार्य के पास क्यों आया था ?
उ: एकलव्य द्रोणाचार्य के पास धनुर्विद्या सीखने आया था ।
3) द्रोणाचार्य ने एकलव्य को धनुर्विद्या सिखाने से क्यों इंकार कर दिया ?
उ: द्रोणाचार्य ने एकलव्य को धनुर्विद्या सिखाने से इनकार कर दिया क्योंकि शास्त्रों के अनुसार द्रोणाचार्य की विद्या केवल ब्राह्मणों और क्षत्रियों के लिए थी ।
4) एकलव्य ने धनुर्विद्या का क्या चमत्कार दिखाया ?
उ: एकलव्य ने बाण चलाकर भौंकने वाले शिकारी कुत्तों को का मुँह सी दिया था।
5) एकलव्य ने द्रोणाचार्य से गुरुदक्षिणा माँगने का अनुरोध क्यों किया ?
उ: एकलव्य का मानना था कि द्रोणाचार्य के आशीर्वाद से उसकी विद्या कृतार्थ हुई इसलिए उसने द्रोणाचार्य से गुरु दक्षिणा मांगने का अनुरोध किया ।
6) द्रोणाचार्य ने एकलव्य से गुरुदक्षिणा के रूप में क्या माँगा ?
उ: द्रोणाचार्य ने एकलव्य से गुरुदक्षिणा के रूप में उसके दाहिने हाथ का अँगूठा माँगा।
7) अर्जुन के अनुसार एकलव्य से उसका दाहिना अँगूठा माँगना अन्याय क्यों था ?
उ: अर्जुन के अनुसार एकलव्य से उसका दाहिना अँगूठा माँगना अन्याय था क्योंकि द्रोणाचार्य ने ऐसा करके एक महान प्रतिभा को उभरने से पहले ही कुचल दिया था ।
8) द्रोणाचार्य की अपूर्णता किस बात में थी ?
उ: द्रोणाचार्य की अपूर्णता इस बात में थी कि एकलव्य उनकी सहायता के बिना महान धनुर्धर बन गया था।
ग) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 40-50 शब्दों में लिखिए ।
1) एकलव्य ने धनुर्विद्या कैसे सीखी ?
उ: एकलव्य दस वर्ष पूर्व धनुर्विद्या सीखने हेतु द्रोणाचार्य के पास आया था । परंतु द्रोणाचार्य ने उसकी प्रार्थना यह कहकर ठुकरा दी कि शास्त्रों के अनुसार उनकी विद्या केवल ब्राह्मणों और क्षत्रियों के लिए है । इसके पश्चात एकलव्य द्रोणाचार्य का पुतला बनाकर उनके चरणों में बैठकर अभ्यास करने लगा और धनुर्विद्या सीख ली । उसके अनुसार गुरु के आशीर्वाद से उसकी विद्या कृतार्थ हुई।
2) द्रोणाचार्य ने एकलव्य से गुरुदक्षिणा में उसके दाहिने हाथ का अँगूठा क्यों माँगा ?
उ: द्रोणाचार्य ने अर्जुन को आशीर्वाद दिया था कि उससे बड़ा धनुर्धर नहीं होगा । द्रोणाचार्य जानते थे कि एकलव्य की प्रतिभा स्वयंभू है जिस वजह से अर्जुन उसके सामने टिक नहीं पाएगा । आगे चलकर वह अर्जुन के राह का सबसे बड़ा काँटा बन जाएगा । अर्जुन को संसार का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनाने के लिए गुरु ने एकलव्य से गुरु दक्षिणा के रूप में उसके दाहिने हाथ का अँगूठा माँगा क्योंकि अगर एकलव्य का अँगूठा बना रहता तो धनुर्विद्या पर उसका और उसकी जाति का अधिकार हो जाएगा । गुरुदेव इस संभावना को हमेशा के लिए समाप्त करना चाहते थे । उन्हें इस बात से भी आपत्ति थी कि एकलव्य उनकी सहायता के बिना महान धनुर्धर बना, जिस वजह से इतिहास उनकी अपूर्णता पर हँसता।
3) अर्जुन को गुरुदक्षिणा में अँगूठा माँगना क्रूरतापूर्ण क्यों लगा ?
उ: एकलव्य ने सिद्ध कर दिया था कि वह संसार का सबसे बड़ा धनुर्धर है । द्रोणाचार्य अर्जुन को महान धनुर्धर बनाना चाहते थे इसलिए उन्होंने एकलव्य से उसके दाहिने हाथ का अँगूठा माँगा जिस पश्चात वह सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर नहीं रह सकता था । यह बात अर्जुन को क्रूरतापूर्ण लगी । उसने एकलव्य की आँखों में क्षत्रियों के लिए घृणा देखी थी । अर्जुन का मत था कि ऐसा कर द्रोणाचार्य ने एक महान प्रतिभा को उभारने से पहले ही कुचल दिया था इस बात को इतिहास कभी क्षमा नहीं करेगा।
4) अर्जुन के मन में कौन सी अपराध भावना जागृत हुई ?
उ: अर्जुन को संसार का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनाने के लिए एकलव्य के दाहिने हाथ का अँगूठा गुरुदक्षिणा के रूप में द्रोणाचार्य ने कटवा दिया था । अर्जुन जानता था कि एकलव्य ही संसार का सबसे बड़ा धनुर्धर है । उसे लगा कि भविष्य में जब कोई उसे संसार का महान धनुर्धर कहकर प्रशंसा करेगा तब उसे एकलव्य का गर्म खून से सना हुआ पंजा उसका मजाक उड़ाएगा । यह सब सोचकर उसके मन में अपराध भावना जागृत हुई कि मेरी वजह से किसी और की प्रतिभा कुचल दी गई ।
5) इतिहास द्रोणाचार्य को किस बात के लिए क्षमा नहीं करेगा ?
उ: एकलव्य ने गुरु द्रोणाचार्य की सहायता के बिना महान धनुर्धर बनकर गुरु के अहंकार को चुनौती दी थी । द्रोणाचार्य ने एकलव्य से उसकी दाहिने हाथ का अँगूठा गुरुदक्षिणा के रूप में माँग कर क्रूरता दिखाई थी । अर्जुन ने नाराज होकर उनसे कहा कि इतिहास कल उनपर हँसेगा । जब भी प्रतिभा को जाति और व्यवस्था के नाम पर कुचला जाएगा तो लोग उनको भी याद करेंगे । इसलिए इतिहास उनको कभी क्षमा नहीं करेगा।