मुहावरा :
* हाथ में हाथ लेना – मिलजुल कर काम करना
– युवा वर्ग हाथ में हाथ लेकर भारत को प्रगति मार्ग पर अग्रसर कर सकता है।
अभ्यास प्रश्न
क) निम्नलिखित पद्य-खंड को ध्यानपूर्वक पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए ।
1) सागर लहरों से कहता है
शिशु है मानवता की लहरें ।
गरज-गरज कर बुला रही हैं,
नन्हे बच्चों को यह लहरें ।
प्रश्न – 1) यह काव्य पंक्तियाँ किस कविता से ली गई हैं ?
उ: यह काव्य पंक्तियाँ ‘लहरें’ कविता से ली गई है ।
2) इस कविता के कवि का नाम क्या है ?
उ: इस कविता के कवि का नाम ‘रमेश भगवंत वेलुस्कर है ।
3) सागर में मानवता की लहरें किन्हें कहा है ?
उ: सागर ने मानवता की लहरें बच्चों को कहा है ।
4) सागर की लहरें बच्चों को किस प्रकार बुला रही हैं ?
उ: सागर की लहरें बच्चों को गरज-गरजकर बुला रही हैं।
2) “लेकर अपना हाथ हाथ में
इंसान की सेवा चलो करें
दुखड़ा उनका दूर फेंककर
अमन चैन से भरा करें ।“
प्रश्न – 1) यह काव्य पंक्तियाँ किस कविता से ली गई हैं ?
उ: यह काव्य पंक्तियाँ ‘लहरें’ कविता से ली गई है ।
2) इस कविता के कवि का नाम क्या है ?
उ: इस कविता के कवि का नाम ‘रमेश भगवंत वेलुस्कर है ।
3) लहरें बच्चों से क्या कहती हैं ?
उ: लहरें बच्चों के हाथ में हाथ लिए कहती हैं चलो हमारे संग इंसान की सेवा करो ।
4) लहरें बच्चों से किसकी सेवा करने को कहती हैं ?
उ: लहरें बच्चों से दीन-दुखियारों का दुखड़ा दूर कर उनकी जिंदगी अमन चैन से भर देने को कहती हैं।
ख) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 10-12 शब्दों में लिखिए ।
1) लहरें बच्चों को क्यों बुलाती हैं ?
उ: लहरें बच्चों को अपने संग हाथ में हाथ लेकर इंसान की सेवा करने के लिए बुलाती हैं ।
2) सागर लहरों से क्या कहता है ?
उ: सागर लहरों से कहता है कि शिशु मानवता की लहरें हैं ।
3) लहरें किन्हें भूल नहीं पाती हैं ?
उ: लहरें दूर देश को छूकर आती हैं, हवा के संग गाती हैं परंतु बच्चों को नहीं भूल पाती है।
ग) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 25-30 शब्दों में लिखिए ।
1) लहरों का स्वभाव कैसा है ?
उ: सागर की लहरें उछलती, मचलती गरज-गरजकर किनारे आती हैं । सागर की नन्हीं प्यारी लहरें बच्चों के साथ अनूठा खेल खेलना चाहती हैं । जैसे बच्चे खेलकूद से नहीं थकते वैसे ही लहरें भी नहीं थकती । वह दूर देश को छूकर आती है, हवा संग गाती हैं परंतु बच्चों को नहीं भूलती । लहरें उसी प्रकार इठलाती हैं जैसे प्यारे बच्चे खुशी से उछलते कूदते हैं, मौज-मस्ती और धमाका करते हैं।
2) बच्चों और लहरों में क्या समानता है ?
उ: कविता में कवि ने सागर की लहरों और बच्चों में समानता दिखाई है। सागर की नन्हीं प्यारी लहरें, बच्चों जैसी इठलाती कलकल करती है, उछलती-कूदती है तथा मौज-मस्ती और धमाका करती है। उनका स्वभाव बच्चों के समान है । बच्चे जैसे हवा में कूदते, दौड़ते, गाते रहते हैं, वैसे ही लहरें भी हवा के संग गाती रहती हैं ।
3) लहरें बच्चों को कौन सा संदेश देती है ?
उ: कविता में कवि ने सागर की लहरों और बच्चों में समानता दिखलाई ही है । बच्चे मानवता की लहरें हैं और सागर की लहरें उन्हें मानवता की सेवा करने के लिए प्रेरित करती है । लहरें बच्चों को संदेश देती हैं कि बच्चे उनके संग हाथ में हाथ मिलाकर इंसान की सेवा करें, दीन-दुखियों का दुखड़ा दूर कर उनके जिंदगी में अमन, चैन भर दे । सागर की लहरें बच्चों को मानवता की सेवा करने और उस पर छाए घोर संकट को दूर करने के लिए प्रेरित करती है।