I) निम्नलिखित गद्य-खंडों को पढ़कर उनके नीचे दिए गए प्रश्नों के जवाब लिखिए।
1) पीछे, पोलो-लॉन में बच्चे किलकारियाँ मारते हुए हॉकी खेल रहे थे। शोर, मार-पीट, गाली-गलौज भी जैसे खेल का ही अंश था। इस तमाम खेल को उतने क्षणों का उद्देश्य बना वे बालक अपना सारा मन, सारी देह, समग्र बल और समूची विद्या लगाकर मानो खत्म कर देना चाहते थे। उन्हें आगे की चिंता न थी, बीते का ख्याल न था। वे शुद्ध तत्काल के प्राणी थे। वे शब्द की संपूर्ण सचाई के साथ जीवित थे।
क) यह गद्य-खंड किस कहानी से लिया गया है?
उ: यह गद्य-खंड ‘अपना-अपना भाग्य’ कहानी से लिया गया है।
ख) इस पाठ के लेखक का नाम क्या है?
उ: इस पाठ के लेखक का नाम जैनेंद्र है।
ग) बच्चे क्या कर रहे थे?
उ: बच्चे पोलो-लॉन में किलकारियाँ मारते हुए हॉकी खेल रहे थे।
घ) बच्चों के खेल का क्या अंश था?
उ: शोर, मार-पीट, गाली-गलौज यह सब बच्चों के खेल का अंश था।
ड) बालक क्या करना चाहते थे?
उ: बालक अपना सारा मन, सारी देह, समग्र बल और समूची विद्या लगाकर खेल खत्म कर देना चाहते थे।
च) बच्चे कैसे प्राणी थे?
उ: बच्चे शुद्ध तत्काल के प्राणी थे।
2) अँगरेज रमणियाँ थीं, जो धीरे नहीं चलती थीं, तेज चलती थीं। उन्हें न चलने में थकावट आती थी, न हँसने में लाज आती थी। कसरत के नाम पर भी बैठ सकती थीं, और घोड़े के साथ-ही-साथ जरा जी होते ही, किसी हिंदुस्तानी पर भी कोड़े फटकार सकती थी। वह दो-दो, तीन-तीन, चार-चार की टोलियों में निश्शंक, निरापद, इस प्रवाह में मानो अपने स्थान को जानती हुई, सड़क पर से चली जा रही थीं।
क) यह गद्य-खंड किस कहानी से लिया गया है?
उ: यह गद्य-खंड ‘अपना-अपना भाग्य’ कहानी से लिया गया है।
ख) इस पाठ के लेखक का नाम क्या है?
उ: इस पाठ के लेखक का नाम जैनेंद्र है।
ग) अँगरेज रमणियाँ क्या कर रही थी?
उ: अँगरेज रमणियाँ धीरे नहीं तेज़ चलती थी। उन्हें न चलने में थकावट आती थी, न हँसने में लाज आती थी।
घ) अँगरेज रमणियाँ का व्यवहार कैसा था?
उ: अँगरेज रमणियाँ कसरत के नाम पर भी बैठ सकती थी और घोड़े के साथ-ही-साथ जरा जी होते ही किसी हिंदुस्तानी पर भी कोड़े फटकार सकती थी।
ड) अँगरेज रमणियाँ कैसे जा रही थी?
उ: अँगरेज रमणियाँ दो-दो तीन-तीन चार-चार की टोलियों में जा रही थी।
च) अँगरेज रमणियाँ कहाँ जा रही थी?
उ: अँगरेज रमणियाँ टोलियों में निश्शंक, निरापद, इस प्रवाह में मानो अपने स्थान को जानती हुई, सड़क पर से चली जा रही थीं।
3) हमारे देखते-देखते एक घने पर्दे में आकर इन सबको ढँक दिया। रोशनियाँ मानो मर गईं। जगमगाहट लुप्त हो गई। वह काले-काले भूत-से पहाड़ भी इस सफेद पर्दे के पीछे छिप गए। पास की वस्तु भी न दीखने लगी। मानो वह घनीभूत प्रलय थी। सब कुछ इसी घनी, गहरी सफेदी में दब गया। जैसे एक शुभ्र महासागर ने फेलकर स्तुति के सारे अस्तित्व को डुबो दिया। ऊपर, नीचे, चारों तरफ वह निभेद सफेद शून्यता ही फैली हुई थी।
क) यह गद्य-खंड किस कहानी से लिया गया है?
उ: यह गद्य-खंड ‘अपना-अपना भाग्य’ कहानी से लिया गया है।
ख) इस पाठ के लेखक का नाम क्या है?
उ: इस पाठ के लेखक का नाम जैनेंद्र है।
ग) घने पर्दे ने क्या किया?
उ: घने पर्दे ने सबको ढँक दिया। रोशनियाँ मानो मर गई। जगमगाहट लुप्त हो गई। वह काले-काले भूत से पहाड़ भी घने सफेद पर्दे के पीछे छिप गए।
घ) लेखक को क्या प्रतीत हो रहा था?
उ: लेखक को ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो वह घनीभूत प्रलय थी जिसमें सबकुछ दब गया है। जैसे एक शुभ्र महासागर ने फैलकर स्तुति के सारे अस्तित्व को डुबो दिया हो।
ड) चारों तरफ क्या फैली हुई थी?
उ: ऊपर, नीचे, चारों तरफ, निभेद सफेद शून्यता फैली हुई थी।
4) “माँ-बाप है?”
“है।“
“कहाँ?”
“पंद्रह कोस दूर गाँव में।“
“तू भाग आया?”
“हाँ”
“क्यों?”
“मेरे कई छोटे भाई-बहन हैं- सो भाग आया। वहाँ काम नहीं, रोटी नही। बाप भूखा रखता था और मारता था। माँ भूखी रोती रहती थी। सो भाग आया। एक साथी और था। उसी गाँव का- मुझसे बड़ा। दोनो साथ यहाँ आए। वह अब नहीं है।“
“कहाँ गया?”
“मर गया।“
इस जरा-सी उम्र में ही इसकी मौत से पहचान हो गई। मुझे अचरज हुआ, दर्द हुआ, पूछा, “मर गया?”
“हाँ, साहब ने मारा, मर गया।“
वह साथ चल दिया। लौटकर हम वकील दोस्तों के होटल में पहुँचे।
क) यह गद्य-खंड किस कहानी से लिया गया है?
उ: यह गद्य-खंड ‘अपना-अपना भाग्य’ कहानी से लिया गया है।
ख) इस पाठ के लेखक का नाम क्या है?
उ: इस पाठ के लेखक का नाम जैनेंद्र है।
ग) बालक शहर क्यों भाग आया था?
उ: बालक के कई भाई-बहन थे। गाँव में न काम था न ही रोटी थी। बाप भूखा रखता था और मारता था। माँ भूखी रोती रहती थी। इसलिए वह शहर भाग आया।
घ) बालक का गाँव कहाँ है?
उ: बालक का गाँव शहर से पन्द्रह कोस दूर है।
ड) बालक किसके साथ भाग आया था?
उ: बालक का एक गाँव का साथी था जो उससे बड़ा था, वह उसके साथ भाग आया था।
च) बालक के साथी का क्या हाल हुआ था?
उ: बालक के साथी को साहब ने मारा, तो वह मर गया।
छ) लेखक को अचरज और दर्द क्यों हुआ?
उ: उस बच्चे को ज़रा-सी उम्र में ही उसकी मौत की पहचान हो गई थी इसलिए लेखक को अचरज और दर्द हुआ।
5) वकील लोग होटल के ऊपर के कमरे से उतरकर आए। कश्मीरी दोशाला लपेटे थे, मोज़े चढ़े पैरों में चप्पल थी। स्वर में हल्की सी झुँझलाहट थी, कुछ लापरवाही थी।
“ओ-हो, फिर आप!- कहिए?”
“आपको नौकर की ज़रूरत थी न?- देखिए, यह लड़का है।“
“कहाँ से लाए?- इसे आप जानते हैं?”
“जानता हूँ- यह बेईमान नहीं हो सकता।“
“अजी, ये पहाड़ी बड़े शैतान होते हैं। बच्चे-बच्चे में गुण छुपे रहते हैं। आप भी क्या अजीब हैं- उठा लाए कहाँ से- लो जी यह नौकर लो।“
क) यह गद्य-खंड किस कहानी से लिया गया है?
उ: यह गद्य-खंड ‘अपना-अपना भाग्य’ कहानी से लिया गया है।
ख) इस पाठ के लेखक का नाम क्या है?
उ: इस पाठ के लेखक का नाम जैनेंद्र है।
ग) वकील लोग किस अवस्था में कमरे में उतर कर आए?
उ: वकील लोग कमरे से कश्मीरी दोशाला लपेटे मोजे चढ़े पैरों में चप्पल पहनकर कमरे से उतरकर आए।
घ) वकील लोग का स्वर कैसा था?
उ: वकील लोग के स्वर में हल्की-सी झुँझलाहट और कुछ लापरवाही थी।
ड) बच्चे को वकील दोस्तों के होटल क्यों ले गए थे?
उ: वकील दोस्तों को नौकर की जरूरत थी इसलिए बच्चे को उनके होटल ले गए थे।
च) वकील साहब ने बच्चे को देखकर क्या कहा?
उ: वकील साहब ने बच्चे को देखकर कहा कि पहाड़ी बच्चे बड़े शैतान होते हैं। बच्चे-बच्चे में गुण छिपे रहते हैं।
6) सचमुच मेरी जेब में भी नोट ही थे। हम फिर अंग्रेजी बोलने लगे। लड़के के दाँत बीच-बीच में कटकटा उठते थे। कड़ाके की सर्दी थी।
मित्र ने पूछा, “तब?”
मैंने कहा, “दस का नोट ही दे दो।”
सकपकाकर मित्र मेरा मुँह देखने लगे, “अरे यार, बजट बिगड़ जाएगा। ह्रदय में जितनी दया है, पास इतने पैसे तो नहीं।”
“तो जाने दो, यह दया ही इस जमाने में बहुत है।”- मैंने कहा।
मित्र चुप रहे। जैसे कुछ सोचते रहे। फिर लड़के से बोले- “अब आज तो कुछ नहीं हो सकता। कल मिलना। वह ‘होटल- डि-पव’ जानता है? वही कल 10 बजे मिलेगा।
क) यह गद्य-खंड किस कहानी से लिया गया है?
उ: यह गद्य-खंड ‘अपना-अपना भाग्य’ कहानी से लिया गया है।
ख) इस पाठ के लेखक का नाम क्या है?
उ: इस पाठ के लेखक का नाम जैनेंद्र है।
ग) दोनों मित्र असमंजस में क्यों थे?
उ: दोनों मित्र असमंजस में थे क्योंकि दोनों के पास नोट थे। वह बच्चे को खाना खाने पैसे देना चाहते थे।
घ) सर्दी के कारण लड़के का क्या हाल था?
उ: सर्दी के कारण लड़के के दाँत बीच-बीच में कटकटा उठते थे।
ड) दस का नोट देने की बात पर लेखक के मित्र ने क्या कहा?
उ: दस का नोट देने की बात पर लेखक के मित्र ने कहा कि इतने पैसे देने से बजट बिगड़ जाएगा। ह्रदय में जितनी दया है जेब में इतने पैसे नहीं हैं।
च) लेखक के मित्र ने लड़के से क्या कहा?
उ: लेखक के मित्र ने लड़के से कहा कि आज कुछ नहीं हो सकता, तुम कल दस बजे ‘होटल- डि-पव’ में आकर मिलना।
छ) होटल बुलाने पर लड़के को क्या उम्मीद जगी थी?
उ: होटल बुलाने पर लड़के को यह उम्मीद जगी थी कि उसे काम मिल जाएगा तो उसकी सारी परेशानी दूर हो जाएगी।
7) मोटर में सवार होते ही समाचार मिला- पिछली रात, एक पहाड़ी बालक सड़क के किनारे पेड़ के नीचे ठिठुरकर मर गया। मरने के लिए उसे वही जगह, वही दस बरस की उम्र और वही काले चिथड़ों की तमीज मिली! आदमियों की दुनिया में बस यही उपहार उसके पास छोड़ा था।
पर बताने वालों ने बताया कि गरीब के मुँह पर, छाती, मुट्ठियों और पैरों पर बर्फ़ की हल्की-सी चादर चिपक गई थी। मानो दुनिया की बेहयाई ढकने के लिए प्रकृति ने शव के लिए सफेद और ठंडे कफन का प्रबंध कर दिया था।
सब सुना और सोचा- अपना अपना भाग्य।
क) यह गद्य-खंड किस कहानी से लिया गया है?
उ: यह गद्य-खंड ‘अपना-अपना भाग्य’ कहानी से लिया गया है।
ख) इस पाठ के लेखक का नाम क्या है?
उ: इस पाठ के लेखक का नाम जैनेंद्र है।
ग) मोटर में बैठते ही लेखक को क्या समाचार मिला?
उ: मोटर में बैठते ही लेखक को यह समाचार मिला कि पिछली रात एक पहाड़ी बालक सड़क के किनारे पेड़ के नीचे ठिठुरकर मर गया।
घ) आदमियों की दुनिया के उपहार के रूप में बच्चे को क्या मिला?
उ: आदमियों की दुनिया में उपहार के रूप में बच्चे को मरने के लिए वही जगह, वही दस बरस की उम्र और वही काले चिथड़ों की कमीज मिली।
ड) बताने वालों ने बच्चे की मृत देह के बारे में क्या बताया था?
उ: बताने वालों ने बच्चे के मृत देह के बारे में बताया कि गरीब के मुँह पर, छाती, मुट्ठियों और पैरों पर बर्फ की हल्की सी चादर चिपक गई थी।
च) बच्चे की मृत देह की बात पर लेखक ने क्या व्यंग किया है?
उ: बच्चे की मृत्यु देह की बात पर लेखक ने व्यंग किया है कि दुनिया की बेहयाई ढकने के लिए प्रकृति ने शव के लिए सफेद और ठंडे कफन का प्रबंध कर दिया था।
II) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 15-20 शब्दों में लिखिए।
1) संध्या के समय नैनीताल में बादल कैसे लग रहे थे?
उ: संध्या के समय नैनीताल में बादल रुई के रेशे से, भाप से बादल बेरोक घूम रहे थे। हलके प्रकाश और अँधियारी से रँगकर कभी वे नीले दिखते, कभी सफेद और फिर जरा देर में अरुण पड़ जाते।
2) लेखक ने सड़क पर क्या देखा?
उ: लेखक ने सड़क पर नर-नारियों का अविरल प्रवाह आते-जाते देखा।
3) लेखक ने अंग्रेज पिता और भारतीय पिता में क्या अंतर दर्शाया है?
उ: अंग्रेज पिता अपने बच्चों के साथ भाग रहे थे, हँस रहे थे और खेल रहे थे। भारतीय पिता अपने बुजुर्गों को अपने चारों तरफ लपेटे धन-संपन्नता के लक्षणों का प्रदर्शन करते हुए चल रहे थे।
4) लेखक ने अँग्रेजदाँ पुरुषोत्तम के विषय में क्या कहा है?
उ: अँग्रेजदाँ पुरुषोत्तम अपने कालेपन को खुरच-खुरच कर बहा देने की इच्छा रखते हैं। नेटिव को देख कर मुँह फेर लेते हैं और अँग्रेज को देखकर आँखें बिछा देते हैं और दुम हिलाने लगते हैं।
5) लेखक बेचैन क्यों हो रहे थे?
उ: बारिश और बर्फ की वजह से लेखक के ओवरकोट भीग कर तर हो गए थे। इसलिए वह बेचैन थे और झटपट होटल पहुँचकर भीगे कपड़ों को निकाल, गर्म बिस्तर में छिपकर सो जाना चाहते थे।
6) लेखक और उनके मित्र रात को कितने बजे तालाब के किनारे लोहे की बेंच पर बैठे?
उ: लेखक और उनके मित्र रात के एक बजे तालाब के किनारे लोहे की बेंच पर बैठे।
7) लड़का कहाँ सोने वाला था और क्यों?
उ: लड़का बाहर ठंड में कहीं पर भी सोने वाला था क्योंकि उसके मालिक ने उसे नौकरी से निकाल दिया था।
8) लड़के को काम करने के बदले क्या मिलता था?
उ: लड़के को काम करने के बदले एक रुपया और जूठा खाना मिलता था।
9) वकील मित्रों ने लड़के को नौकर के रूप में क्यों नहीं रखा?
उ: वकील मित्रों का कहना था कि पहाड़ी बच्चे शैतान होते हैं और वह लड़का कुछ भी लेकर चंपत हो जाएगा इसलिए उसे नौकर के रूप में नहीं रखा।
10) लेखक के मित्र की जेब में कितने नोट थे?
उ: लेखक के मित्र की जेब में दस-दस के नोट थे।
11) लड़का रात को कहाँ सोने वाला था?
उ: लड़का रात को बेंच पर पेड़ के नीचे या किसी दुकान की भट्टी में सोने वाला था।
III) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 25-30 शब्दों में लिखिए।
1) नर-नारियों के प्रभाव में कौन थे?
उ: नर नारियों के प्रवाह में अधिकार गर्व में तने अँग्रेज, चिथड़ों से सजे, घोड़ों की बाग थामे पहाड़ी, जिन्होंने अपनी प्रतिष्ठा और सम्मान को कुचलकर शून्य बना दिया था। भागते, खेलते, हँसते, शरारत करते, लाल-लाल अँग्रेज बच्चे थे और पीली-पीली आँखें फाड़े पिता की उँगली पकड़कर चलते हुए हिंदुस्तानी बच्चे भी थे।
2) भारत की नारियाँ अथवा कुललक्ष्मियाँ को पर्व प्रवाह में कैसा व्यवहार था?
उ: भारत की नारियाँ अथवा कुललक्ष्मियाँ सड़क के बिल्कुल किनारे-किनारे, दामन बचाती और सँभालती हुई, साड़ी की कई तहों में सिमट-सिमटकर, लोक-लाज, स्त्रीत्व और भारतीय गरिमा के आदर्श को अपने परिवेष्टनों में छिपाकर सहमी-सहमी धरती में आँखें गाड़े, कदम बढ़ा रही थी।
3) रात के समय तल्ली ताल का दृश्य स्पष्ट कीजिए?
उ: रात के समय तल्ली ताल की बिजली की रोशनियाँ दीप-मालिका सी जगमग आ रही थी। वह जगमगाहट दो मील तक फैले हुए प्रकृति के जल दर्पण पर प्रतिबिंबित हो रही थी और दर्पण का काँपता हुआ, लहरें लेता हुआ वह ताल उन प्रतिबिंबों को सौ गुना, हजार गुना करके उनके प्रकाश को मानो एकत्र और पूँजीभूत करके व्यक्त कर रहा था। पहाड़ों के सिर पर की रोशनियाँ तारों-सी जान पड़ती थी।
4) लेखक ने बच्चे का विवरण कैसे दिया है?
उ: सर्द रात के सन्नाटे में लेखक और उनके मित्र को एक लड़का दिखा जो अपने बड़े-बड़े बालों को खुजला रहा था, नंगे पैर, नंगे सर और एक मैली-सी कमीज पहने था। वह दस वर्ष का गोरे रंग का बालक था पर मैल से काला पड़ गया था। आँखें बड़ी पर सुनी थी और छोटी आयु में ही माथे पर झुर्रियाँ थी।
IV) निम्नलिखित शब्द-युग्मों का वाक्य में प्रयोग कीजिए।
1) मार-पीट – कक्षा में बच्चों के बीच मार-पीट हो गई।
2) गाली-गलौज – पड़ोसियों की नोक-झोंक गाली-गलौज तक पहुँच गई।
3) लाल-लाल – लाल-लाल सेब देख बच्चे का जी उसे खाने के लिए ललचाने लगा।
4) किनारे-किनारे – यात्री नदी के किनारे-किनारे चलने लगे।
5) सिमट-सिमट – औरतें सिमट-सिमट कर चल रहीं थी।
6) लोक-लाज – भारतीय संस्कृति में लोक-लाज का बहुत महत्व है।
7) सहमी-सहमी – सुनसान सड़क पर लड़की सहमी-सहमी चल रही थी।
8) देखते-देखते – देखते-देखते दुर्घटनाग्रस्त स्थान पर लोगों की भीड़ जमा हो गई।
9) काले-काले – आकाश में काले-काले बादल छाए हैं।
10) टप-टप – पेड़ों के पत्तों से बारिश की बूंदे टप-टप गिर रही थी।
11) टन-टन – घड़ी की टन-टन से सोया हुआ बच्चा जाग गया।
12) अपने-अपने – सब यात्रियों ने अपने-अपने टिकट खरीदे।
13) कण-कण – प्रकृति के कण-कण में सुंदरता है।
14) बड़े-बड़े – रेल मार्ग बनाने के लिए बड़े-बड़े पेड़ों को काटा गया।
15) ऐरे-गैरे – मनोज ऐरे-गैरे लड़कों से बात नहीं करता।
16) अपना-अपना – सब मजदूर अपना-अपना काम करने में व्यस्त थे।