प्र) निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ बताकर वाक्यों में प्रयोग कीजिए ।
1) अलविदा कहना – किसी को विदा करना
– माँ ने भारी मन से बेटे को अलविदा कहा ।
2) जलसमाधि प्राप्त होना – पानी में डूब कर मरना
– परीक्षा-फल से चिंतित होकर कुमार ने जल समाधि प्राप्त कर ली ।
3) बेलगाम होना – नियंत्रण खोना / संयम न रहना
– अत्याधिक भीड़ देखकर सर्कस का हाथी बेलगाम हो गया ।
4) मौत के चंगुल में फँसना – मारा जाना
– भयानक दुर्घटना में एक ही परिवार के तीन लोग मौत के चंगुल में फँस गए।
प्र) निम्नलिखित शब्द युग्मों का वाक्य में प्रयोग कीजिए ।
1) मौज-मस्ती – लॉकडाउन में बच्चों ने बहुत मौज-मस्ती की ।
2) ठंडी-ठंडी – बारिश होने के कारण ठंडी-ठंडी हवा चलने लगी ।
3) देश-विदेश – मोबाइल के द्वारा घर बैठे-बैठे हमें देश विदेश की खबर मिल जाती है ।
4) साफ-सुथरे – त्वचा के रोगों से बचने के लिए साफ-सुथरा रहना चाहिए।
अभ्यास प्रश्न
क) निम्नलिखित गद्य-खंड को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
अ) लेकिन इस प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेते समय कुछ पर्यटक सुरक्षा के नियमों का पालन नहीं करते हैं । मद्यपान करके प्रपात में जलक्रीड़ा करते समय कई लोग अपना शारीरिक संतुलन खो बैठते हैं और अपनी जान गवाँ बैठते हैं । सन् 2006 ई. से 2012 ई. तक दूधसागर प्रपात में जलक्रीड़ा करते समय 30 लोगों को जल समाधि प्राप्त हुई है।
प्रश्न- 1) यह गद्य-खंड किस पाठ से लिया गया है ?
उ: यह गद्य-खंड ‘गोवा का जल पर्यटन और सुरक्षा’ पाठ से लिया गया है ।
2) इस पाठ के लेखक का नाम क्या है ?
उ: इस पाठ के लेखक का नाम ‘राजेंद्र पांडुरंग केरकर, है ।
3) प्रपात में जलक्रीड़ा करते समय लोग अपना शारीरिक संतुलन क्यों खो बैठते हैं ?
उ: मद्यपान करके प्रपात में जलक्रीड़ा करते समय लोग अपना शारीरिक संतुलन खो बैठते हैं ।
4) सन 2006 ई. से सन 2012 ई. तक कितने लोग दूधसागर प्रपात में डूबकर जान गवाँ बैठे ?
उ: सन 2006 ई. से सन 2012 ई. तक 30 लोग दूधसागर प्रपात में डूब कर अपनी जान गवाँ बैठे।
आ) पर्यटन मंत्रालय ने जो नियम और मर्यादाएँ निश्चित की है उनका पालन करना सभी के लिए आवश्यक है । यदि नियमों का पालन किया गया तो पर्यटकों की यात्रा सुखद होगी और उनके परिवार अपने प्रियजनों को खोने से बच जाएँगे ।
प्रश्न – 1) यह गद्य-खंड किस पाठ से लिया गया है ?
उ: यह गद्य-खंड ‘गोवा का जल पर्यटन और सुरक्षा’ पाठ से लिया गया है ।
2) इस पाठ के लेखक का नाम क्या है ?
उ: इस पाठ के लेखक का नाम ‘राजेंद्र पांडुरंग केरकर, है ।
3) गोवा के सुखद जलपर्यटन के लिए किसने नियम और मर्यादाएँ निश्चित की हैं ?
उ: गोवा के सुखद जलपर्यटन के लिए गोवा के पर्यटन मंत्रालय में नियम और मर्यादाएँ निश्चित की है।
4) पर्यटकों की यात्रा सुखद कैसे होगी ?
उ: पर्यटकों द्वारा पर्यटन मंत्रालय के निश्चित किए गए नियमों का पालन करके उनकी यात्रा सुखद होगी।
ख) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 15-20 शब्दों में लिखिए ।
1) गोवा का सागर तट कितना लंबा है ?
उ: गोवा का सागर तट अरब सागर के तट पर स्थित है । यह 105 किलोमीटर लंबा है ।
2) देश-विदेश से पर्यटक बड़ी संख्या में गोवा कब आते हैं ?
उ: देश-विदेश से पर्यटक बड़ी संख्या में बीते साल को अलविदा कहने और नए साल का स्वागत करने के लिए गोवा आते हैं ।
3) दूधसागर को यह नाम क्यों दिया गया है ?
उ: जब कर्नाटक के कॅसलरॉक गाँव के घने जंगल से होती हुई काटला और पालना नदियाँ 300 मीटर ऊँची चट्टानों से नीचे गिरती है, तो पानी दूध जैसा लगता है, इसलिए इस प्रपात को दूधसागर कहते हैं ।
4) गोवा के समुद्र तटों पर तैनात जीवरक्षक दल पर्यटकों को क्या चेतावनी देते रहते हैं ?
उ: गोवा के समुद्र तटों पर तैनात जीवरक्षक दल पर्यटक को मध्यपान करके और बिना तैरना जाने पानी में न कूदने तथा सावधानी बरतने की चेतावनी देते रहते हैं ।
5) ज्वार-भाटे के समय कौन सा खतरा रहता है ?
उ: ज्वार-भाटे के समय पैरों के नीचे की बालू खिसकती है तो ऊँची उठती लहरों के साथ बह जाने का खतरा रहता है।
ख) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 40-50 शब्दों में लिखिए ।
1) गोवा के कौन-कौन से स्थल पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है ?
उ: गोवा, संसार के सुंदरतम पर्यटन स्थलों में से एक है । यहाँ के मनोरम जलप्रपात, सुंदर अभयारण्य और लुभावने विकसित समुद्र-तट संसार के प्रत्येक कोने से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। एक ओर सोसोगड़, वाघेरी, मोर्लेगड जैसे जंगलों से युक्त पर्वत शिखर जो सह्याद्रि पर्वतमाला के अभिन्न अंग हैं तो दूसरी ओर अरब सागर के हणजूणा, वागातोर, बागा, कलंगुट, मीरामार, कोलवा, पारोली जैसे मन लुभावने विकसित समुद्र तट पर्यटकों के आकर्षण हैं । प्रतिवर्ष नए साल का स्वागत और बीते साल को अलविदा कहने देश-विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं । दक्षिण गोवा में विहंगम दूधसागर जलप्रपात भी है । यह प्रपात आगे चलकर नदी का रूप लेता है। इसकी गहराई बढ़ जाती है।
2) पाठ में दूधसागर प्रपात के विषय में क्या जानकारियाँ दी गयीं हैं?
उ: दक्षिण गोवा का विहंगम दूधसागर जलप्रपात यह पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है। कर्नाटक के कॅसलरॉक गाँव के घने जंगल से होती हुई काटला और पालना नदियाँ जब चट्टानों की से नीचे गिरती है तो पानी दूध जैसा लगता है । इसी दूधिया जल प्रपात को दूधसागर कहते हैं। बरसात के दिनों में रेलयात्रा करते समय 300 मीटर से ज्यादा ऊँचाई से गिरनेवाले दूधसागर की नयनरम्य झाँकी लुभावनी लगती है । दूर से दृष्टिगोचर होनेवाले दूधिया प्रपात का सौंदर्य निकट आने पर पर्यटकों को ठंडी-ठंडी फुहारों से प्रसन्नचित्त करता है।
3) जल क्रीडा के समय कौन-कौनसी सावधानियाँ बरतनी चाहिए ?
उ: जल क्रीड़ा के समय पर्यटकों को उचित सावधानियाँ बरतनी चाहिए ताकि वे इसका पूरा आनंद उठा सकें । मद्यपान करके प्रपात में जलक्रीड़ा नहीं करनी चाहिए । ऐसा करने से शारीरिक संतुलन खो सकता है और जान भी गँवा सकते हैं । बिना तैरना जाने समुद्र की लहरों में खेलने नहीं जाना चाहिए । युवा वर्ग को चाहिए कि वे जीवरक्षक दलों की दी गई चेतावनीयों तथा पर्यटन मंत्रालय के नियम और मर्यादाओं का पालन कर आनंद उठाए और अपनी यात्रा सुखद बनाएँ।
4) जलक्रीड़ा का आनंद लेते समय दुर्घटनाएँ क्यों होती है ?
उ: गोवा की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेते समय कुछ पर्यटक नियमों का पालन नहीं करते । इस कारण प्रतिवर्ष जलक्रीड़ा के समय होनेवाली दुर्घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं । मध्यपान करके प्रपात में जलक्रीड़ा करते समय कई लोगों का संतुलन खो जाता है और वे जलसमाधि को प्राप्त होते हैं । सागर तट पर आकर सागर की ऊँची उठती लहरों से खेलने की इच्छा पर पर्यटक नियंत्रण नहीं कर पाते और बिना तैरना जाने बिना सावधानी बरतें मद्यपान करके सागर में कूद पड़ते हैं । जब तक जीवरक्षक दल उनकी सहायता के लिए पहुँचते हैं वह त्रासदी का शिकार हो जाते हैं । कुछ अनुभवहीन तैराक भी पानी में डूब जाते हैं । मौज-मस्ती में बेलगाम होकर नियमों और सावधानियों को जब ताक पर रखा जाता है तब दुर्घटनाएँ होती हैं ।
5) गोवा के जलपर्यटन को सुरक्षित बनाने के लिए हमारा क्या उत्तरदायित्व है ?
उ: सहयाद्री पर्वतमाला और अरब सागर के बीच बसा हुआ गोवा प्रकृति के सुंदरतम पर्यटन स्थलों में से एक है, परंतु प्रति वर्ष जलपर्यटन के समय नियमों का पालन न करने और सावधानियाँ न बरतने के कारण दुर्घटनाएँ बढ़ती ही जा रही है । सभी पर्यटकों का यह उत्तरदायित्व है कि वह सावधान रहें और नियमों का सख्ती से पालन करें । हमें सामूहिक-मानसिकता से बचकर जीवरक्षक दलों द्वारा दी गई चेतावनी के अनुसार ही मौज-मस्ती करनी चाहिए । यदि नियमों का पालन किया जाए तो सभी की यात्रा सुखद होगी । याद रहे गोवा के जलपर्यटन को सुरक्षित बनाने का उत्तरदायित्व हम सबका है।