1. साधु को कैसा होना चाहिए?
उ: साधु का स्वभाव सूप जैसा होना चाहिए। साधु को सार को अपने पास रखके थोथे को बाहर उड़ा देने वाले सुप की तरह अच्छे गुणों को ग्रहण तथा बुरे का त्याग करने वाला होना चाहिए।
2) सुख दु:ख के बारे में कबीरदास क्या कहते है?
उ: जिस प्रकार हम दु:ख में प्रभु को याद करते है उसी प्रकार सुख में भी हमें भगवान को याद कर, उनको धन्यवाद देना चाहिए। अगर हम सुख में प्रभु को याद करेंगे तो दु:ख कभी हमारे पास नहीं आएगा।
3) कबीर को अपने बारे में क्या ज्ञात हुआ?
उ: कबीर जब बुरे व्यक्ति को ढूंढने निकले, तो उन्हें खुद से बुरा व्यक्ति कोई न मिला। उन्होंने जब अपने अंतरमन में झाँका तो उन्हें ज्ञान हुआ कि उनसे बुरा व्यक्ति इस संसार में कोई और नहीं।
4) कबीर ने खजूर के पेड़ और बड़प्पन की कैसे तुलना की है?
उ: कबीर कहते है खजूर का पेड़ बड़ा होता है, पर उसकी छाया पशु तथा मनुष्य को शीतलता नहीं देती न ही उसके फलों तक कोई पहूँचकर तृप्त हो सकता है। वैसे ही मनुष्य को अपने बड़प्पन पर अहंकार नहीं करना चाहिए बल्कि दूसरों की भलाई करनी चाहिए।
5) “बोया पेड़ बबूल का, आम कहाँ से खाए”? इस पंक्ति का स्पष्टीकरण करें।
उ: इस पंक्ति द्वारा कबीरदास मनुष्य के बुरे कर्मों की ओर संकेत कर रहे है। अगर हमने बुरे कर्म किए हैं तो उसका फल भी बुरा होगा। जैसे अगर हमने बबूल का पेड़ बोया है तो हम उस पेड़ से आम की अपेक्षा नहीं कर सकते। अच्छे कर्मों का फल हमेशा अच्छा और सुखदायक होता है। अपनी करनी का फल हमें ही भुगतना पड़ता है अच्छा हो या बुरा।
6) काँटे बोनेवालों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए?
उ: कबीर के अनुसार जो मनुष्य हमारे लिए काँटे बोता है हमें उसके लिए फूल बोने चाहिए। हमें बुराई का बदला भलाई से देना चाहिए।
भाषा अध्ययन
पर्यायवाची शब्द
1) नाव – नौका 2) साधू – तपस्वी 3) दुख – पीड़ा
4) बड़ा – महान 5) आम – आम्र 6) काँटा – कंटक
7) हाथ – हस्त 8) फूल – पुष्प 9) जल – नीर