प्रश्न

I) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

1) काम करने से क्या लाभ होता है?
उ:
काम करने से देह और आत्मा के बीच संतुलन बना रहता है।

2) काम न करने वाला किस बात से अनजान रह जाता है?
उ: काम न करने वाला आते-जाते मौसम से अनजान रह जाता है।

3) मनुष्य किस चीज से छूट जाता है?
उ: मनुष्य जीवन की शोभायात्रा से छूट जाता है।

4) जीवन की शोभायात्रा कैसे होती है?
: जीवन की शोभायात्रा महिमापूर्ण चाल से चलती हुई अनंत के समक्ष गौरवपूर्ण आत्मसमर्पण कर देती है।

5) सतत काम करनेवाला मनुष्य क्या बन जाता है?
उ: सतत काम करनेवाला मनुष्य वह बाँसुरी बन जाता है जिसके हृदय में समय की साँसे भी संगीत बन जाती हैं।

6) कवि हमसे क्या प्रश्न करते हैं?
उ: कवि हमसे पूछते हैं कि कौन खामोश बाँसुरी बनना चाहेगा, जब सारा संसार एक साथ गा रहा हो।

7) कर्म और श्रम के बारे में क्या बताया गया है?
उ: हमें हमेशा यह बताया गया है कि कर्म अभिशाप है और श्रम दुर्भाग्य है।

8) कर्म और श्रम की वास्तविकता क्या है?
उ: कर्म और श्रम में लगे रहना वास्तव में अपनी आकांक्षाओं को पूरा करना है। उन आकांक्षाओं की पूर्ति जिसकी कामना मनुष्य ने बहुत पहले की थी।

9) मनुष्य को किसके लिए निर्दिष्ट किया जाता है?
उ: मनुष्य को इच्छा के पैदा होते ही उसकी पूर्ति के लिए निर्दिष्ट किया जाता है।

10) सही अर्थ में जीवन को प्यार करना क्या है?
उ: स्वयं को श्रम में निमग्न कर देना ही सही अर्थ में जीवन से प्यार करना है।

11) मनुष्य जीवन के गुढ़तम रहस्यों से कैसे साक्षात्कार करता है?
उ: श्रम के माध्यम से जीवन को प्यार करना ही जीवन के गूढ़तम रहस्यों से साक्षात्कार करता है।

12) मनुष्य दुखों से घबराकर क्या कहने लगता है?
उ: मनुष्य दुखों से घबराकर यह कहने लगता है कि जन्म एक विपत्ति है और शरीर का पोषण एक अभिशाप।

13) दुखी मनुष्य के माथे पर क्या अंकित रहता है?
उ: दुखी मनुष्य के माथे पर जन्म और शरीर के विषय में निराशाजनक बातें अंकित रहती हैं।

14) दुखी मनुष्य के माथे पर अंकित निराशाजनक बातों को कैसे मिटाया जा सकता है?
उ: दुखी मनुष्य के माथे पर अंकित निराशाजनक बातों को उसके माथे पर श्रम करने से आए पसीने से मिटाया जा सकता है।

15) प्रस्तुत काव्यांश में क्या संदेश दिया गया है?
उ: प्रस्तुत काव्यांश में यह संदेश दिया गया है कि मनुष्य को निरंतर कर्म करते रहना चाहिए तभी उसकी देह और आत्मा के बीच संतुलन बना रहता है। श्रम करने से मनुष्य सफल हो सकता है तथा जीवन में आगे बढ़ सकता है। मेहनत का कोई पर्याय नहीं है।