अभ्यास प्रश्न

प्र) निम्नलिखित शब्द युग्मों का वाक्य में प्रयोग कीजिए ।

1) इधर-उधर :- बिल्ली ने इधर-उधर देखा, फिर दूध पी गई ।

2) एक-दो :-  आपको पत्र एक-दो दिन में मिल जाएगा ।

3) अपने-अपने :-  आजकल सब अपने-अपने काम से काम रखते हैं ।

4) सूझ-बूझ ;-  रमा ने सूझ-बूझ से अपनी बहन की जान बचाई ।

प्र)  निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ बताकर वाक्य में प्रयोग कीजिए ।

1) जिगर का टुकड़ा होना – बहुत प्यारा होना
सलीम अपनी माँ के जिगर का टुकड़ा है ।

2) टाल देना – बचना, किसी काम को स्थगित कर देना
बीमारी की वजह से मैंने मुंबई जाना टाल दिया ।

3) मात दे देना – हरा देना, परास्त कर देना
कारगिल के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को मात दे दी ।

4) काबू पाना – अधिकार करना
बहुत मुश्किल से हाथी पर काबू पाया गया ।

5) उफान आना – ऊपर उठना
अत्यधिक वर्षा के कारण नदी में उफान आ गया ।

6) डुबकियाँ खाना – पानी में डूबना-उतरना
तैरना न आने के कारण राज नदी में डुबकियाँ खाने लग गया ।

7) बेहाल होना – बुरी दशा होना
लॉकडाउन के कारण सब बेहाल हो गए ।

8) तितर-बितर होना – इधर-उधर फैलना
पुलिस के आँसू गैस छोड़ते ही भीड़ तितर-बितर हो गई ।

9) क्षती पहुँचना – नुकसान होना
तूफान के कारण फसलों को काफी क्षति पहुँची ।

10) कमर कसना – पक्का इरादा करना ।
पूजा ने परीक्षा में प्रथम आने की तैयारी में कमर कस ली।

अभ्यास प्रश्न

क) निम्नलिखित गद्य-खंडों को ध्यान पूर्वक पढ़िए और उनके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
अ) कुछ विपदाएँ प्रकृतिजन्य होती हैं तो कुछ मानवजन्य । प्राकृतिक विपदाएँ- जैसे भूचाल, तूफान और बाढ़ इत्यादि के विषय में यह कहा नहीं जा सकता कि यह कब आ जाएँगी । मानवजन्य विपदाएँ- जैसे आग, कार दुर्घटना इत्यादि ऐसी विपदाएँ हैं जिन्हें विशेष सावधानी बरतकर टाला भी जा सकता है ।

प्रश्न- 1) यह गद्य-खंड किस पाठ से लिया गया है ?
         उ:  यह गद्य-खंड विपदा में मानव-धर्म पाठ से लिया गया है ।

2) इसके लेखक का क्या नाम है ?
उ: इस पाठ के लेखक का नाम मोहनदास सो. सूर्लकर है ।

3) लेखक के अनुसार प्राकृतिक आपदाएँ कौन-कौन सी हैं ?
उ: लेखक के अनुसार प्राकृतिक विपदा भूचाल, तूफान और बाढ़ है ।

4) लेखक ने मानवजन्य विपदाएँ किसे माना है ?
उ: लेखक ने मानवजन्य विपदाएँ आग, कार, दुर्घटना इत्यादि को माना है ।

5) मानवजन्य विपदाओं को कैसे टाला जा सकता है ?
उ: मानवजन्य विपदाओं को सावधानी बरतकर टाला जा सकता है।

आ) आज युवा-पीढ़ी के सामने यह एक चुनौती है कि वह कमर कसकर इन विपदाओं का सामना करें और अपनी तथा पीड़ितों की रक्षा करे । इसके लिए हर छात्र को आनंद और पीटर जैसे युवाओं से सीख लेनी होगी । एक सजग और साहसी विद्यार्थी विपदाओं से अपनी रक्षा कर सकता है और दूसरों की भी ।

प्रश्न- 1) यह गद्य-खंड किस पाठ से लिया गया है ?
         उ:  यह गद्य-खंड विपदा में मानव-धर्म पाठ से लिया गया है ।

2) इसके लेखक का क्या नाम है ?
: इस पाठ के लेखक का नाम मोहनदास सो. सूर्लकर है ।

3) आज युवा-पीढ़ी के सामने कौन-सी चुनौती है?
उ: आज युवा-पीढ़ी के सामने यह चुनौती है कि वह कमर कसकर विपदा का सामना करें और अपनी तथा पीड़ितों की रक्षा करें ।

4) आनंद और पीटर से क्या सीख लेनी होगी ?
उ: आनंद और पीटर से यह सीख लेनी होगी कि हमें साहस और सजगता से विपदाओं का सामना कर उस पर विजय प्राप्त करनी चाहिए ।

5) लेखक के अनुसार सजग और साहसी विद्यार्थी क्या कर सकता है ?
उ: लेखक के अनुसार एक सजग और साहसी विद्यार्थी विपदाओं से अपनी तथा दूसरों की रक्षा कर सकता है।

ख) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 10-15 शब्दों में लिखिए ।

1) इमारत के बरामदे में बैठी स्त्री क्यों रो रही थी ?
उ: इमारत के बरामदे में बैठी स्त्री रो रही थी क्योंकि उसके घर में आग लगी थी और उसका बच्चा दूसरी मंजिल पर एक कमरे में पालने में सो रहा था ।

2) पीटर को अस्पताल क्यों ले जाया गया ?
उ: बच्चे को बचाते समय मीटर का शरीर आग से काफी झुलस गया था इसलिए उपचार हेतु उसे अस्पताल ले जाया गया।

3) शिशु की माँ आनंद और पीटर को कैसे निहार रही थी ?
उ: शिशु की माँ कृतज्ञतापूर्ण नेत्रों से आनंद और पीटर को निहार रही थी ।

4) वाल्वंटी नदी में बाढ़ किस कारण आई थी ?
उ: वाल्वंटी नदी में घनघोर वर्षा और बादल फटने से बाढ़ आई थी ।

5) सारे गाँव में कितनी ऊँचाई तक पानी भर गया ?
उ:  सारे गाँव में चार फुट ऊँचाई तक पानी भर गया था ।

7) खूंटे से बँधे पशुओं को आनंद ने क्यों खोल दिया ?
उ: खूंटे से बँधे पशुओं को आनंद ने खोल दिया ताकि वे स्वयं सुरक्षित स्थानों पर जा सकें ।

8) यमराज को किस से हार मान लेनी पड़ी ?
उ: आनंद और पीटर के अदम्य साहस और सूझबूझ से यमराज को हार माननी पड़ी।

ग) निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 40-50 शब्दों में लिखिए ।

1) इमारत में आग कैसे भड़क उठी ?
उ: वास्को शहर की एक इमारत में आग लगी थी । एक औरत इमारत की दूसरी मंजिल पर रहती थी । वह सब्जियाँ खरीदने नीचे उतरी थी । भूल से रसोई घर में गैस का चूल्हा जलता छोड़ आई थी, जिसके कारण वह आग भड़क उठी थी और कुछ ही क्षणों में इमारत आग की लपटों से घिरी हुई थी।

2) पीटर ने बच्चे को आग से कैसे बचाया ?
उ:
औरत की लापरवाही के कारण इमारत में आग लग गई थी । उसका नन्हा-सा शिशु इमारत की दूसरी मंजिल के एक कमरे में पालने में सो रहा था । औरत का रोना देखकर पीटर लपक कर इमारत की सीढ़ियाँ चढ़ा और दूसरी मंजिल पर स्थित कमरे तक पहुँचा । कमरे के दरवाजे पर आते ही उसने देखा कि आग की लपटें पालने तक पहुँचने वाली हैं । उसने पास में पड़ी हुई कंबल उठाई और बच्चे को उस में लपेटकर आग की लपटों से जूझता हुआ इमारत से बाहर आया और बच्चा माँ को सौंपा । इस तरह पीटर ने बच्चे को आग से बचाया।

3) आनंद ने आग बुझाने के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए ?
उ:
आनंद ने जब देखा कि आग फैलती जा रही है तो उसने सबसे पहले बिजली का मेन स्विच बंद किया ताकि बिजली का प्रवाह खंडित हो जाए और कोई अन्य हादसा होने से टल जाए । उसने आग बुझाने के लिए लोगों से पानी लाने का अनुरोध किया और तुरंत दमकल विभाग को फोन कर सूचित किया।

4) आनंद और पीटर ने गाँव वालों को बाढ़ से कैसे बचाया ?
उ:
घनघोर वर्षा और बादल फटने की वजह से सांगली के पास वाल्वंटी नदी में बाढ़ आ गई थी । पानी का बहाव प्रतिक्षण बढ़ रहा था जिसके कारण गाँव के खेतों और झोपड़ियों में पानी भरने लगा। गाँव में लगभग चार  फुट ऊँचाई तक पानी भर गया था । आनंद और पीटर ने लकड़ी के कुछ  तत्वों को पुराने पीपों पर रस्सी से बांधकर दो-तिन बेड़े तैयार किए । वे दोनों अच्छे तैराक थे । इन बेड़ों पर बच्चों, बूढ़ों और स्त्रियों को बैठाकर पास के टीले वाले मंदिर के प्रांगण में छोड़ा तथा उनके लिए वहाँ पर्याप्त पानी और भोजन सामग्री की व्यवस्था में भी सहयोग किया।

5) बाढ़ के बाद आनंद और पीटर ने गाँववालों की कैसे सहायता की ?
उ:
आनंद और पीटर ने बच्चों, बूढ़ों और स्त्रियों को बेड़ो पर बैठाकर पास के टीले वाले मंदिर पर सुरक्षित पहुँचा दिया । उनके लिए पीने के पानी और भोजन सामग्री की पर्याप्त व्यवस्था की । बच्चों को पेट के बल लिटा कर दबा-दबाकर उनके पेट से पानी बाहर निकाला । पशुओं को खूंटे से खोल दिया था कि वह स्वयं सुरक्षित स्थान पर जा सके । आनंद और पीटर ने गाँव के युवकों तथा स्वयंसेवी संस्थाओं से संपर्क साध कर उनकी मदद से गाँव वालों के लिए औषधि, अन्न, वस्त्र आदि का प्रबंध किया । उन्होंने साहस, सजगता और धैर्य से गाँव वालों की मदद की।