प्रश्न

I) निम्नलिखित गद्य-खंड को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखो।

1) सूरज का उदय जिस पहाड़ी की आड़ से होता है वहीं से वह भी उभरा। सबसे पहले उसे बूढ़े व्यंकटू ने देखा। व्यंकटू को लगा मानो एक और सूरज उदित हो रहा है। इधर-उधर देखकर उसने सबको आवाज लगाई। उसकी आवाज बस्ती के सभी घरों में गूंज उठी।

वैशाख के दोपहर की चिलचिलाती धूप। आसपास के पेड़-पौधे कहीं अपनी हरियाली सूख न जाए इसकी खबरदारी लिए खड़े थे। सूखी पत्तियाँ तले हुए पापड़ की तरह कड़क लग रही थी। बस्ती के खपरैल के घर काली सूखे गोबर के ढेर की भाँति दिखाई दे रहे थे।

क) यह गद्य-खंड किस कहानी से लिया गया है?
: यह गद्य-खंड ‘अग्निदिव्य’ कहानी से लिया गया है।

ख) इस पाठ के लेखक का क्या नाम है?
उ: इस पाठ के लेखक का नाम पुंडलिक नायक है।

ग) व्यंकटू ने उसे देख कर क्या किया?
: व्यंकटू ने उसे पहाड़ी की आड़ से उतरते देखा तो सबको आवाज लगाई जो बस्ती के सभी घरों में गूंज उठी।

घ) वैशाख की धूप कैसी थी?
उ: वैशाख की धूप चिलचिलाती थी।

ड) वैशाख में पेड़-पौधों की क्या हालत थी?
उ: वैशाख में पेड़-पौधे कहीं अपनी हरियाली सूख न जाए इसकी खबरदारी लिए खड़े थे। सूखी पत्तियाँ तले हुए पापड़ की तरह कड़क लग रही थी।

च) बस्ती के घर कैसे दिखाई दे रहे थे?
उ: बस्ती के खपरैल के घर काले सूखे गोबर के ढेर की भाँति दिखाई दे रहे थे।

2) ‘तू अब छोटा कहाँ रह गया है? हमारे लिए अग्नि भक्तों का मतलब साक्षात भगवान का अवतार है। अब हमारी बस्ती को किसी से डर नहीं रहा। तुम्हारे रूप में साक्षात् अग्निदेवता का आशीर्वाद हमारे बाल-बच्चों पर रहेगा। अच्छा यह तो बताओ देवी की जात्रा (मेला) कैसी रही?’

वह जात्रा की सारी बातें बताएगा। इस उत्सुकता से व्यंकटू वहीं पेड़ के नीचे बैठ गया। व्यंकटू की आवाज सुनकर बस्ती में मौजूद सभी जन पेड़ के नीचे इकट्ठे हो गए। बुखार की वजह से पाँव की शक्ति खो चुकी लँगडी भी लँगड़ाते-लँगड़ाते वहाँ आ गई। हमेशा बीमार रहने वाला कृश बाळा टिड्डे की तरह उड़ते-उड़ते आया और आते ही खाँसने लगा। दस-बारह साल के चार-पाँच बच्चे कुत्ते के पिल्लों की तरह दौड़ते हुए आए। अंत में कस्तुर मौसी चूल्हा जलाकर अपनी झोंपड़ी से बाहर निकली।

क) यह गद्य-खंड किस कहानी से लिया गया है?
उ: यह गद्य-खंड ‘अग्निदिव्य’ कहानी से लिया गया है।

ख) इस पाठ के लेखक का क्या नाम है?
उ: इस पाठ के लेखक का नाम पुंडलिक नायक है।

ग) व्यंकटू ने अग्निभक्त का मतलब क्या समझाया?
90-उ: व्यंकटू ने कहा कि अग्निभक्त का मतलब उनके लिए साक्षात भगवान का अवतार है। अब उनकी बस्ती को किसी से डर नहीं रहा। अग्नि देवता का आशीर्वाद बाल-बच्चों पर रहेगा।

घ) व्यंकटू की आवाज सुनकर बस्ती के कौन-कौन अग्निभक्त से जात्रा का वर्णन सुनने आए?
: व्यंकटू की आवाज सुनकर अग्निभक्त से जात्रा का वर्णन सुनने बस्ती के लोग उत्सुकता से पेड़ के नीचे बैठ गए। बुखार के कारण पाँव की शक्ति खो चुकी लँगडी आ गई, हमेशा बीमार रहने वाला कृश बाळा आकर खाँसने लगा। दस-बारह साल के चार पाँच बच्चे और कस्तुर मौसी चूल्हा जलाकर अपनी झोंपड़ी से आई।

3) उसने सब की ओर देखा। बस? मेरे स्वागत के लिए इतने ही लोग! क्षणभर उसका मुँह मुरझाया, परंतु सबके चेहरे की उत्सुकता देखकर उसका चेहरा तुरंत खिल भी उठा। दोपहर का समय। बस्ती के जवान स्त्री-पुरुष जो काम के लिए सुबह निकल पड़े थे, शाम को वापस लौटने वाले थे। बस्ती में अब बूढ़े, बीमार, अपाहिज तथा बच्चे ही रह गए थे।

‘हमारा अग्निभक्त हमारे लिए क्या लेकर आया है?’ उसके माथे पर दुलार से हाथ फेरते हुए मौसी ने पूछा। उसका मन उत्साह से भर उठा। सभी उसे अग्निभक्त कहकर बुला रहे थे। उसे लगा सचमुच में वह अग्निभक्त है। उसके अलावा उसका दूसरा कोई नाम ही नहीं है। कागज की पुड़िया में बाँधकर लाया गया अग्निदेवता का प्रसाद सभी ने ग्रहण किया।

क) यह गद्य-खंड किस कहानी से लिया गया है?
: यह गद्य-खंड ‘अग्निदिव्य’ कहानी से लिया गया है।

ख) इस पाठ के लेखक का क्या नाम है?
उ: इस पाठ के लेखक का नाम पुंडलिक नायक है।

ग) सबको देखकर उस नौजवान की क्या प्रतिक्रिया थी?
उ: कम लोगों को देखकर उस नौजवान का मुँह क्षणभर के लिए मुरझाया, परंतु सबके चेहरे की उत्सुकता देखकर उसका चेहरा खिल उठा।

घ) जात्रा का वर्णन सुनने तथा उसके स्वागत के लिए इतने कम लोग क्यों थे?
उ: दोपहर का समय था। गाँव के जवान स्त्री-पुरुष काम के लिए सुबह निकल पड़े थे, जो शाम को लौटने वाले थे। बस्ती में सिर्फ बूढ़े, बीमार, अपाहिज तथा बच्चे ही थे इसलिए जात्रा का वर्णन सुनने तथा उसके स्वागत के लिए कम लोग थे।

ड) नौजवान का मन उत्साह से क्यों भर उठा?
: सब लोग उसे अग्निभक्त कहकर बुला रहे थे, मानो उसका और कोई नाम ही नहीं हो, इसलिए नौजवान का मन उत्साह से भर उठा।

च) अग्निभक्त कागज की पुड़िया में क्या लाया था?
उ: अग्निभक्त कागज की पुड़िया में अग्निदेवता का प्रसाद लाया था जिसे सब ने ग्रहण किया।

4) अग्निभक्त के मुँह से अब जात्रा का वर्णन सुनने को मिलेगा यह सोचते हुए सभी अचरज से मुँह खोलकर उसे देखने लगे। पूरी बस्ती में सि़र्फ वही अकेला अग्निभक्त था। गाँव में वैसे बहुत अग्निभक्त थे परंतु बस्ती में वही पहला अग्निभक्त था। जात्रा में आने का बुलावा साक्षात् अग्नि देवता ने उसे सपने में आकर दिया था। अपने जीवन में हर कोई अग्निदेवता के दृष्टांत का सपना देखता है।

जात्रा के दो दिन पूर्व उसने व्रत रखा। ‘जात्रा’ के दिन कंधे पर ‘तरंग’ उठाकर वह चल पड़ा। इससे पहले भी उसने जात्रा देखी थी परंतु अब वह इस जात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया था। ईश्वर के कई भक्त! उन भक्तों में अब वह भी जुड़ गया। लोगों की भीड़ बहुत थी। उसे पिछले साल की याद आ गई। किस तरह वह भीड़ में घुसने की कोशिश कर रहा था। इस साल लोग आगे जाने के लिए उसके लिए राह बना रहे थे।

क) यह गद्य-खंड किस कहानी से लिया गया है?
उ: यह गद्य-खंड ‘अग्निदिव्य’ कहानी से लिया गया है।

ख) इस पाठ के लेखक का क्या नाम है?
: इस पाठ के लेखक का नाम पुंडलिक नायक है।

ग) सब लोग अचरज से अग्निभक्त को क्यों देखने लगे?
उ: अग्निभक्त के मुँह से जात्रा का वर्णन सुनने के लिए सब लोग अचरज से मुँह खोलकर अग्निभक्त को देखने लगे।

घ) वह नौजवान बस्ती के और अग्निभक्तों से भिन्न क्यों था?
: बस्ती में और भी अग्निभक्त थे परंतु उसे जात्रा में आने का बुलावा साक्षात् अग्निदेवता ने सपने में आ कर दिया था।

ड) हर कोई क्या सपना देखता है?
उ: हर कोई अग्निदेवता के दृष्टांत का सपना देखता है।

च) जात्रा के लिए उसने क्या तैयारी की?
उ: जात्रा के दो दिन पूर्व उसने व्रत रखा। जात्रा के दिन कंधे पर तरंग उठाकर वह चल पड़ा था।

छ) अग्निभक्त को पिछले साल और अब की जात्रा में क्या अंतर नजर आया?
उ: अग्निभक्त पिछले साल भक्तों की भीड़ में घुसने की कोशिश कर रहा था परंतु इस वर्ष लोग आगे जाने के लिए उसके लिए राह बना रहे थे।

5) दोपहर में आरंभ हुई जात्रा की मुख्य विधि मध्यरात्रि में आरंभ हुई। मंदिर के ठीक सामने खुले मैदान में अग्निकुंड जल रहा था। सूखी लकड़ियों के गट्ठर एक के बाद एक अग्निकुंड में पडने लगे। वैशाख की दोपहर की तरह अग्निकुंड जल उठा। मंदिर का परिसर चारों ओर से प्रकाशमान हो उठा।

क) यह गद्य-खंड किस कहानी से लिया गया है?
उ: यह गद्य-खंड ‘अग्निदिव्य’ कहानी से लिया गया है।

ख) इस पाठ के लेखक का क्या नाम है?
उ: इस पाठ के लेखक का नाम पुंडलिक नायक है।

ग) यात्रा की मुख्य विधि कब आरंभ हुई?
उ: दोपहर में आरंभ हुई जात्रा की मुख्य विधि मध्यरात्रि को आरंभ हुई।

घ) मंदिर के सामने क्या था?
: मंदिर के सामने खुले मैदान में अग्निकुंड जल रहा था।

ड) अग्निकुंड कैसे जल उठा?
: अग्निकुंड में सूखी लकड़ियों के गट्ठर पडने के बाद, वैशाख के दोपहर की तरह अग्निकुंड जल उठा और मंदिर का परिसर चारों ओर से प्रकाशमान हो उठा।

6) गर्भागार में स्थित सहस्त्रों घोड़ों के रथ पर सवार श्री अग्निदेवता की मूर्ति आग की तरह चमकने लगी। ढोल-ताशे बजे उठे। अग्निकुंड की लकड़ियों के जलकर अंगारे हो जाने तक ढोल-ताशे बजते रहे। आग की तपिश के कारण दूर खड़े लोग अब अग्निकुंड के चारों और इकट्ठा होने लगे। मंदिर के तालाब में स्नान करके मस्तक पर चंदन का तिलक लगाकर एक के बाद एक अग्निभक्त आ गए। जात्रा का सबसे महत्वपूर्ण अंतिम कार्य आरंभ हो गया। अग्निभक्त बड़ी संख्या में अग्निकुंड में उतरे। अग्निकुंड के अंगारों को अपने पैरों तले रौंदते हुए परंपरानुसार पुजारी के हाथ से तीर्थप्रसाद लेने के लिए मंदिर की ओर दौड़े। दर्शक साँस रोके यह दिव्य दृश्य देख रहे थे। भक्तों के झुंड के झुंड अग्निकुंड को पार करने लगे। जात्रा का वर्णन समाप्त हो गया। अग्निभक्त का गला सूख गया। माथे पर पसीना आ गया। उसे प्यास लगी।

क) यह गद्य-खंड किस कहानी से लिया गया है?
उ: यह गद्य-खंड ‘अग्निदिव्य’ कहानी से लिया गया है।

ख) इस पाठ के लेखक का क्या नाम है?
उ: इस पाठ के लेखक का नाम पुंडलिक नायक है।

ग) श्री अग्निदेवता की मूर्ति कैसी दिख रही थी?
उ: गर्भागार में स्थित सहस्त्रों घोड़ों के रथ पर सवार श्री अग्निदेवता की मूर्ति आग की तरह चमक रही थी।

घ) ढोल-ताशे कब तक बजते रहे?
उ: अग्निकुंड की लकड़ियाँ जलकर अंगारे होने तक ढोल-ताशे बजते रहे।

ड) अग्निभक्त क्या कर रहे थे?
: अग्निभक्त मंदिर के तालाब में स्नान करके चंदन का तिलक लगाकर अग्निकुंड में उतरने के लिए तैयार थे।

च) जात्रा का सबसे महत्वपूर्ण अंतिम कार्य क्या था?
: अग्निभक्तों को अग्निकुंड के अंगारों को अपने पैरों तले रौंदते हुए परंपरानुसार पुजारी के हाथ से तीर्थप्रसाद लेने के लिए मंदिर की ओर दौड़ना था। यह जात्रा का सबसे महत्वपूर्ण अंतिम कार्य था।

छ) दर्शक साँस रोके क्या देख रहे थे?
उ: दर्शक साँस रोके भक्तों के झुंड को अग्निकुंड पार करने का दिव्य दृश्य देख रहे थे।

7) ‘क्या अंगारों पर से चलते समय पैरों को कुछ भी नहीं होता?’ एक लड़के ने सवाल किया.

अग्निभक्त कुछ कहे इसके पहले ही व्यंकटू कहने लगा, ‘है, कैसे कुछ नहीं होता? बहुत-से अग्निभक्तों के पैर जले हैं। परंतु सच्चे अग्निभक्ति के लिए अंगारे फूलों के जूतों के समान होते हैं। सुनकर सभी दंग रह गए। अग्निभक्त अंगारों पर से चलकर सुरक्षित अपने गाँव वापस लौटा था। ‘अब तुम्हें आग से कोई खतरा नहीं? बाळा के सवाल का उत्तर व्यंकटू ने देते हुए कहा ‘भगवान की कृपा दृष्टि उसके ऊपर है। अब उसे किसका डर?’ व्यंकटू ने फिर कहा, ‘हमारे लिए अग्निदेवता पचास मील दूर हैं। अग्निभक्त ही हमारे लिए अग्निदेवता के समान है।‘ व्यंकटू ने अग्निभक्त को नमस्कार किया। सभी ने उसका अनुकरण किया। सभी को मन ही मन लगा काश, अग्निदेवता हमारे भी सपने में आकर हमें जात्रा में आने के लिए बुलावा देते।

क) यह गद्य-खंड किस कहानी से लिया गया है?
उ: यह गद्य-खंड ‘अग्निदिव्य’ कहानी से लिया गया है।

ख) इस पाठ के लेखक का क्या नाम है?
उ: इस पाठ के लेखक का नाम पुंडलिक नायक है।

ग) व्यंकटू ने अग्निभक्तों के बारे में क्या बताया?
उ: व्यंकटू ने कहा कि सच्चे अग्निभक्तों को छोड़, अन्य अग्निभक्तों के पैर जल जाते हैं। सच्चे अग्निभक्तों के लिए अंगारे फूलों के जूतों के समान हैं।

घ) गाँव के अग्निभक्त के विषय में व्यंकटू ने क्या कहा?
: गाँव के अग्निभक्त के विषय में व्यंकटू ने कहा कि अग्निभक्तों पर भगवान की कृपादृष्टि है। यह अंगारों पर से चलकर सुरक्षित गाँव लौटा है। अब उसे किसी का डर नहीं। हमारे लिए अग्निदेवता पचास मील दूर हैं। हमारा अग्निभक्त ही हमारे लिए अग्निदेवता के समान है।

ड) सबने मन ही मन क्या कामना की?
: सबने मन ही मन यह कामना की कि काश अग्निदेवता उनके सपने में आकर उन्हें जात्रा में आने के लिए बुलावा देते।

8) ‘मौसी दौड़ो, बचाओ, बचाओ’ चिल्लाते हुए झोपड़ी से बाहर भाग निकली। हवा के तेज झोंके से जिस प्रकार सूखी पत्तियाँ उड़ जाती हैं, उसी प्रकार एक ही चरण में सब झोपड़ी के पास दौड़ पड़े।

चूल्हे की आग ने गजब कर दिया था। कस्तुर मौसी चिल्ला रही थी। इधर-उधर मदद माँगते दौड़ रही थी। उसकी झोपड़ी आग में जल उठी थी। धूप में सूख कर कड़क बनी नारियल की पत्तियों का छप्पर आग में धधक उठा। ‘हे भगवान, जल जाने दो झोंपड़ी को। मेरे पोते को बचाइए। मैं बेटे और बहू से क्या कहूँगी? कस्तुर मौसी आक्रोश कर रही थी।

क) यह गद्य-खंड किस कहानी से लिया गया है?
उ: यह गद्य-खंड ‘अग्निदिव्य’ कहानी से लिया गया है।

ख) इस पाठ के लेखक का क्या नाम है?
उ: इस पाठ के लेखक का नाम पुंडलिक नायक है।

ग) मौसी क्यों चिल्ला रही थी?
: मौसी की झोपड़ी में आग लग गई थी इसलिए मदद के लिए वह चिल्ला रही थी।

घ) सब झोपड़ी के पास कैसे दौड़े?
उ: सब झोपड़ी के पास हवा के तेज झोंके से जिस प्रकार देश पत्तियाँ उड़ जाती हैं, उसी समान दौड़ पड़े।

ड) कस्तुर मौसी पर क्या विपदा आई थी?
उ: चूल्हे की आग की वजह से झोपड़ी आग में जल उठी थी। धूप में सूखकर बनी नारियल की पत्तियों का छप्पर आग में धधक उठा था।

च) कस्तुर मौसी सब से क्या गुहार लगा रही थी?
उ: कस्तुर मौसी सब से मदद की गुहार लगा रही थी कि कोई उनके पोते को बचा ले। भले ही झोपड़ी जल जाए। नहीं तो वह अपने बेटा-बहू को क्या जवाब देगी।

9) सभी एक-दूसरे का मुँह ताक रहे थे। लँगडी अपने पैर पर से हाथ फेरने लगी। बाळा खाँसने लगा। बूढ़ा व्यंकटू थरथराने लगा। बच्चे डर के मारे सिटपटाए स्तब्ध खड़े रहे। आग की ज्वाला तेज हो उठी। झोपड़ी के चारों ओर आग का तांडव शुरू हो गया था। पोते की पहली जीत सुनते ही मौसी विह्वलता से चिल्ला उठी ‘हे अग्निभक्त! मेरी मदद करना।‘

उसके हाथ से खिलौना दूर जाकर गिरा और वहीं से थरथराने लगा। लोग चिल्लाने लगे। सभी सन्न रह गए। अग्निभक्त की प्यास तीव्र हो गई। उसकी साँस गले में अटक गई। उसका सिर चकराने लगा। उसे चक्कर-सा आ गया। उसकी आँखों के सामने अंधकार छाने लगा।

क) यह गद्य-खंड किस कहानी से लिया गया है?
उ: यह गद्य-खंड ‘अग्निदिव्य’ कहानी से लिया गया है।

ख) इस पाठ के लेखक का क्या नाम है?
: इस पाठ के लेखक का नाम पुंडलिक नायक है।

ग) झोपड़ी को जलते देख तथा कस्तुर मौसी का आक्रोश सुन सब की क्या प्रतिक्रिया थी?
उ: झोपड़ी को जलते देख तथा कस्तुर मौसी का आक्रोश सुन सभी एक-दूसरे का मुँह ताक रहे थे।
लँगडी अपने पैर पर हाथ फेरने लगी। बाळा खाँसने लगा। बूढ़ा व्यंकटू थरथराने लगा और बच्चे डर के मारे सिटपटाए स्तब्ध खड़े रहे।

घ) मौसी विह्वलता में क्यों चिल्ला उठी?
उ: पोते की पहली चीख सुन मौसी विह्वलता से चिल्ला उठी।

ड) मौसी की हालत देख अग्निभक्त की क्या दशा हुई?
उ: मौसी की हालत देख अग्निभक्त की प्यास तीव्र हो गई। उसकी साँस गले में अटक गई। उसका सिर चकराने लगा। उसे चक्कर आ गया और उसकी आँखों के सामने अंधकार छाने लगा।

II) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

1) अग्निभक्त की रूपरेखा लिखिए?
उ: अग्निभक्त छोटे कद वाला गोरा नौजवान था। उसके पैर धूल से भरे हुए थे और बाल काले थे। मस्तक पर गंध का तिलक, कमर पर सुनहरा पितांबर कसा हुआ था। बेंतों की छड़ियों से टेढ़ा-मेढ़ा बुना तरंग उसने अपने दाहिने कंधे पर रखा था। उसके चलने से तरंग के केसरिया रंग के गोटे हिल रहे थे।

2) मौसी के पोते के लिए अग्निभक्त कौन सा खिलौना लाया था?
उ: मौसी के पोते के लिए अग्निभक्त छोटी-सी गुड़िया लाया था, जो जमीन पर रखते ही कुछ समय तक थरथराती थी।

3) कस्तुर मौसी के घर में कौन थे?
: कस्तुर मौसी के घर में उनका पोता था और बहू-बेटा थे जो सुबह ही काम पर चले गए थे।